कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), जो देश के सबसे बड़े सामाजिक सुरक्षा संगठनों में से एक है, अब अपनी निवेश रणनीति में बदलाव करने की योजना बना रहा है। संगठन, जो अभी तक अपने इक्विटी निवेश को एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) तक सीमित रखता था, अब इससे आगे बढ़कर अधिक विविध इक्विटी बाजार में निवेश करने पर विचार कर रहा है।
EPFO की वर्तमान निवेश रणनीति
वर्तमान में ईपीएफओ अपने फंड्स को निम्नलिखित के माध्यम से इक्विटी में निवेश करता है:
- बीएसई सेंसेक्स या NSE Nifty 50 इंडेक्स पर आधारित ETFs
- सीपीएसई ईटीएफ और भारत 22 ईटीएफ, जो सरकार द्वारा विनिवेश योजनाओं के तहत बनाए गए हैं।
मार्च 2024 तक, EPFO ने करीब ₹2.34 लाख करोड़ का निवेश ETFs में किया है, जो कि इसकी कुल निवेश योग्य पूंजी का 9.49% है।
नई निवेश रणनीति की संभावनाएं
इन्वेस्टमेंट कमेटी, जो कि ईपीएफओ की केंद्रीय बोर्ड की उप-समिति है, ने CRISIL से इस मामले पर विस्तार से अध्ययन करने और विविधीकरण के लिए संभावनाएं पेश करने को कहा है।
वर्तमान नियमों के अनुसार:
- EPFO 5% से 15% तक की नई फंडिंग इक्विटी मार्केट में निवेश कर सकता है।
- यह निवेश ₹5,000 करोड़ से अधिक के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के शेयरों में किया जा सकता है।
- साथ ही, म्यूचुअल फंड्स, इंडेक्स फंड्स, और डेरिवेटिव्स में भी निवेश की अनुमति है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- वर्तमान परिदृश्य: ईपीएफओ ने अगस्त 2015 में ETFs के जरिए 5% इक्विटी निवेश शुरू किया।
- विविधीकरण की जरूरत: इक्विटी निवेश के लिए नए विकल्प तलाशना संगठन की भविष्य की योजना है।
- लंबी अवधि का फोकस: नए निवेश मॉडल से रिटर्न को स्थिर और बेहतर बनाए रखने की उम्मीद है।
क्या बदल सकता है?
यदि EPFO अपनी निवेश रणनीति में बदलाव करता है, तो यह:
- इक्विटी बाजार में तरलता बढ़ा सकता है।
- पेंशन फंड रिटर्न में सुधार कर सकता है।
- सदस्यों को बेहतर लाभ प्रदान कर सकता है।
निष्कर्ष
EPFO का यह कदम, यदि लागू किया जाता है, तो भारत के इक्विटी बाजार और निवेश मॉडल में बड़ा बदलाव ला सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में संभावित जोखिमों का भी मूल्यांकन करना होगा।
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